15 वीं केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा 16 दिसंबर 2021 से 13 जनवरी 2022 के दौरान कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन परीक्षा के रूप में आयोजित की जाएगी। परीक्षा की प्रत्येक तिथि में कई पालियों का आयोजन किया जाएगा।
आपको बता दें कि बोर्ड CTET परीक्षा की प्रत्येक पाली में प्रश्नपत्रों के विभिन्न सेटों का उपयोग करेगा।इस परीक्षा के सभी अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखा गया है साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की गई है कि प्रश्नों का कठिनाई स्तर और पाठ्यक्रम का कवरेज प्रत्येक प्रश्न पत्र सेट में तुलनीय बना रहे।इसके अलावा निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए, बोर्ड प्रश्न पत्रों के विभिन्न सेटों के कठिनाई स्तर में ,भिन्नता यदि कोई हो, के लिए स्कोर सामान्यीकरण प्रक्रिया अपनाएगा।
क्या है सामान्यीकरण (नॉर्मलाइजेशन)
ग़ौरतलब है कि SSC ने विगत वर्ष 5 अगस्त से 23 अगस्त 2017 तक 43 शिफ्टों में SSC CGL 2017 के टीयर-1 की परीक्षा आयोजित की थी।विद्यार्थियों ने लगातार आयोग से शिकायत की थी कि कई शिफ्टों में परीक्षा का स्तर बहुत सरल था इसलिए उस शिफ्ट के विद्यार्थी दी गई समय सीमा में अधिक प्रश्नों को हल करने में सक्षम थे लेकिन कुछ शिफ्टों में प्रश्नों का स्तर लंबा और कठिन था और उस शिफ्ट के विद्यार्थी मेहनत कर भी अधिक प्रश्न नहीं हल कर सकें।
आयोग ने इस बात को गंभीरता से लिया और इस वर्ष (SSC CGL परीक्षा 2018) जारी की गई रिक्तियों के लिए नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया (अंकों के सामान्यीकरण की प्रक्रिया) को लागू कर दिया है। जिससे सभी विद्यार्थियों के साथ न्याय हो सके।
यहाँ आपके यह जानना ज़रूरी है कि देश भर में आयोजित होने वाली गेट, कैट, मैट, आईबीपीएस और रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षाओं में पहले से ही अंकों के सामान्यीकरण की प्रक्रिया को लागू कर चुके हैं ताकि सभी उम्मीदवारों को प्रतियोगिता में उचित मौका प्राप्त हो सके।
नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से परीक्षा अंकों को नॉर्मलाइजेशन कैसे किया जाता है ?
आइए अब हम सबसे पहले यह जान लेते हैं की नॉर्मलाइजेशन की जरुरत क्यों पड़ी और नॉर्मलाइजेशन को किस विधि से आसानी से समझा जा सकता है?
यदि कोई ऑनलाइन परीक्षा कई दिनों में होती है तो उसमें हर दिन अलग-अलग पेपर आता है। ऐसे में उम्मीदवारों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि हमारी पाली में जो पेपर आया वो कठिन था। दूसरी पाली में सरल था। बस इसी शिकायत को आधार बनाकर ‘नॉर्मलाइजेशन’ की शुरुवात कर दी गई।
नॉर्मलाइजेशन सिस्टम के तहत पेपर कितना कठिन था इसका स्तर तय किया जाता है। इसके आधार पर अंक निर्धारित कर दिए जाते हैं। मान लीजिए, परीक्षा के पहले दिन पेपर कठिन था तो अनुमान लगा लिया गया कि इस पेपर में यदि कोई 70 नंबर भी ले आया तो उसे 100 नंबर मान लिया जाएगा। जबकि दूसरे दिन पेपर बहुत सरल था तो इसका उल्टा कर दिया जाएगा। 100 नंबर लाने वाले को 70 नंबर मान लिया जाएगा।
सरल उदाहरण से समझें नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया
आइए अब हम माध्य विधि से यह समझने का प्रयास करते हैं, कि नॉर्मलाइजेशन को कैसे सबसे आसानी से समझा जा सकता है..
• मान लीजिए कि शिफ्ट -1 के उम्मीदवार 60, 50, 45, 65 और 55 अंक प्राप्त करते हैं।
• शिफ्ट -2 के उम्मीदवार 100, 80, 70, 90 और 85 अंक प्राप्त करते हैं।
यहाँ पर उम्मीदवार प्रश्नपत्रों के स्तर के कारण अलग-अलग शिफ्टों में उम्मीदवारों के अंकों में भिन्नता देख सकते हैं। इसलिए, हम पहली शिफ्ट का माध्य ज्ञात करेंगे और वह 55 अंक होगा। फिर हम दूसरी शिफ्ट का माध्य ज्ञात करेंगे जो कि 85 अंक होगा।
इस प्रकार, शिफ्ट-1 और शिफ्ट-2 के माध्य के मध्य का अंतर 30 है। यदि हम पहली शिफ्ट के उम्मीदवार के अंकों में 30 अंक जोड़ देते हैं, तो नॉर्मलाइजेशन अंक (60+30=90), (50+30=80), (45+30=75), (65+30=95) और (55+30=85) होंगे, जो अब शिफ्ट-2 के अंकों के बराबर होंगे। अब शिफ्ट-1और शिफ्ट-2 के अंक बराबर होंगे।
उसी प्रकार, हम दूसरी शिफ्ट और तीसरी शिफ्ट के अंकों का नॉर्मलाइजेशन कर सकते हैं।
माना दूसरी शिफ्ट में अंकों का माध्य 85 है, तीसरी शिफ्ट में, अंकों का माध्य 80 होगा, इसलिए माध्य अंक का अंतर 5 है, यदि हम शिफ्ट-3 के उम्मीदवारों के अंकों में 5 अंक जोड़ देते हैं, तो (90+5=95), (95+5=100), (60+5=65), (75+20=95) और (80+20=100) अंक प्राप्त करेंगें।
अब जैसा कि आप देख सकते हैं, शिफ्ट-2 और शिफ्ट-3 के अंक समान (सामान्यीकृत) हैं। तो हमारे अनुसार, यह नॉर्मलाइजेशन (सामान्यीकरण) को समझने का सबसे आसान तरीका है। इस विधि को माध्य विधि कहा जाता है। हम किसी विशेष शिफ्ट के सभी उम्मीदवारों के अंकों का माध्य ले सकते हैं, और अन्य शिफ्टों के उम्मीदवारों के अंकों के साथ इसकी तुलना कर सकते हैं, और फिर हम माध्य के अंतर को सबसे कम शिफ्ट के अंकों जोड़ते हैं। हमें उम्मीद है कि इससे प्रतिस्पर्धी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी।
शिफ्ट -3 के उम्मीदवार 90, 95, 60, 75 और 80 अंक प्राप्त करते हैं।
क्या अंको में नॉर्मलाइजेशन का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है ?
अगर वास्तविकता में देखा जाए तो नॉर्मलाइजेशन से उन उम्मीदवारो पर प्रभाव पड़ेगा जिनके ज़्यादा स्कोर होते थे हालांकि ऐसे उम्मीदवारो को अपने अंको के चिंता नहीं करनी चाहिए क्योकि उन्होंने अपना परीक्षा पास कर लिया होगा। बस उन्हें अगले चरण की प्रक्रिया का पालन करना होगा।
इसी तरह जो उम्मीदवार सोचते है की उन्होंने कम स्कोर किया होगा लेकिन नंबर आने पर वे खुद दंग रह जाते है। उन्हें ये समझना चाहिए की नॉर्मलाइजेशन के कारण उनका परिणाम अच्छा आया है और चुनाव प्रक्रिया के लिए अगले चरण का परिणाम पहले वास्तविक परिणाम से काफी भिन्न होगा।