Up Teacher Transfer Policy: प्रयागराज हाईकोर्ट की डबल बेंच ने प्रदेश सरकार के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया । हाईकोर्ट के फैसले में प्रदेश सरकार द्वारा बेसिक स्कूलों के अध्यापकों के लिए दो जून 2023 को जारी स्थानांतरण नीति को वैध करार दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि टीचर्स ट्रांसफर की मांग को अधिकार स्वरूप नहीं कर सकते।
बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा 2 जून 2023 को जारी शासनादेश के क्लाज 1 व 15 के अलावा 6 जून 2023 को जारी सर्कुलर को याचिका में चुनौती देते हुए इसे रद करने की मांग की गई थी जिसे कोर्ट ने सुनवाई में इनकार कर दिया याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया यूपी टीचर्स ट्रांसफर पॉलिसी में पांच वर्ष की सेवा की अनिवार्यता को रद किया जाए।
यूपी टीचर्स ट्रांसफर हाईकोर्ट अपडेट: यूपी टीचर्स ट्रांसफर के लिए प्रयागराज की डबल बेंच का फाइनल ऑर्डर अपलोड हो गया है जिसमें 6 हफ्ते के भीतर अंतर्जनपदीय म्यूचुअल ट्रांसफर ऑनलाइन आवेदन शुरू करने का निर्देश दिया है बाकी सब पहले जैसा ही रहेगा, महिलाओं को दो वर्ष और पुरुष शिक्षकों को पांच वर्ष में कोई शिथिलता नहीं दी गई है। UP teachers transfer: निलंबित टीचर्स को भी मिलेगा अंतर्जनपदीय तबादले का लाभ: सचिव प्रताप सिंह बघेल
याचिका संख्या 10209/ 2023 कुलभूषण मिश्रा एंड अदर्स का सार —
रिट संख्या 10209 कुलभूषण मिश्र एंड अदर्स अधिवक्ता श्री सतेंद्र चन्द्र त्रिपाठी के द्वारा डबल बेंच उच्च न्यायालय इलाहाबाद में पारस्परिक स्थानांतरण को लेकर दाखिल की गई थी जिसमें उन्होंने 2 जून के G.O. तथा 8 जून को जारी सर्कुलर को चैलेंज किया है।
दो जून के G.O. के बिन्दु 1 के अनुसार पारस्परिक स्थानांतरण की समय सीमा महिलाओं के लिए 2 वर्ष तथा पुरुषों के लिए 5 वर्ष की है, जिसे चैलेंज करते हुए बिना समय सीमा के पारस्परिक स्थानांतरण करने की याचना की थी जिसमें कोर्ट ने कोई शिथिलता नहीं दी अर्थात अब पारस्परिक स्थानांतरण में भी समय सीमा तय हो गयी।
इसके अलावा दो जून के G.O. के बिंदु 15 को चैलेंज करते हुए पारस्परिक स्थानांतरण ऑफलाइन की मांग की गई थी जिसे फिलहाल प्रयागराज हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
सूत्रों की मानें तो यह याचिका खारिज ही नहीं अपितु शिक्षकों के भविष्य में होने वाले ट्रांसफर के लिए एक नजीर बन गयी। यह ऑर्डर डबल बेंच का है जो कि सभी शिक्षकों के लिए कष्टकारी हो गया इससे भी खतरनाक स्थिति यह है कि इसमें माननीय उच्चतम न्यायालय के जज साहब एस के नौसाद साहब के आदेश के अनुसार “court can’t direct the executive to frame a particular policy”. अर्थात कोर्ट किसी पर्टिकुलर पॉलिसी के लिए आदेश नहीं दे सकता वाला आदेश और थोप दिया गया।
शिक्षकों का मानना है कि आनन फानन में बिना किसी सीनियर अधिवक्ता की सलाह के बगैर कोर्ट जाना कितना घातक होता है।बिना तैयारी जल्दबाजी का परिणाम निकालने के लिए स्वहित में डाली गई यह याचिका सबके लिए नजीर नहीं जंजीर बन गयी।
कहा गया कि किसी भी कोर्ट में बिना होमवर्क किये कदम नहीं रखना चाहिए अन्यथा आप अपने साथ साथ दूसरों को भी संकट में डाल देते हैं। फिलहाल आगे संघर्ष जारी रहेगा। बता दें कि इस याचिका में कहीं भी महिलाओं के वेटेज को चैलेंज नही किया गया।