Out Of School Children: उत्तर प्रदेश में 14 वर्ष तक के बच्चों को स्कूल लाने के लिए योगी सरकार ने 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक परिवार सर्वेक्षण के विशेष अभियान द्वारा शिक्षामित्र अनुदेशकों और नई जिम्मेदारी दी है। इस अभियान के तहत ऐसे बच्चों को स्कूल लाने की तैयारी है जो ईंट भट्ठा खदानों व मौसम की वजह से पलायन करते हैं।
निर्देशों के मुताबिक शारदा कार्यक्रम के तहत स्कूल ड्रॉप आउट बच्चों का उनकी आयु के हिसाब से होगा कक्षा में दाखिला। शिक्षक विशेष प्रशिक्षण देकर छात्रों को करेंगे तैयार। बच्चों को रोजाना स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में नए प्रवेश के लिए आउट आफ स्कूल बच्चों को पहुंचाने की अतिरिक्त जिम्मेदारी शिक्षामित्रों एवं अनुदेशकों को दी गई है।Department of basic education द्वारा ट्वीट करके कहा गया है कि नए शैक्षिक सत्र में शिक्षामित्र और अनुदेशक परिवार सर्वेक्षण अभियान के तहत ऐसे परिवारों के बच्चों को स्कूल पहुंचाने का काम करेंगे जिनके बच्चे स्कूल में जाकर ईंट भट्ठों, खदानों, कारखानों, होटलों में अपने परिवार के साथ रहकर काम भी करते हैं।
नए शैक्षिक सत्र में शिक्षामित्र व अनुदेशक परिवार सर्वेक्षण अभियान के तहत 1 से 15 अप्रैल तक ईंट भट्ठों, खदानों, कारखानों, होटलों, मलिन बस्तियों, घुमंतू व मौसम पलायन से प्रभावित परिवारों के बच्चों को स्कूल पहुंचाएंगे।
नए शैक्षिक सत्र में शिक्षामित्र व अनुदेशक परिवार सर्वेक्षण अभियान के तहत 1 से 15 अप्रैल तक ईंट भट्ठों, खदानों, कारखानों, होटलों, मलिन बस्तियों, घुमंतू व मौसम पलायन से प्रभावित परिवारों के बच्चों को स्कूल पहुंचाएंगे। #SchoolChaloAbhiyanUP @UPGovt @CMOfficeUP @thisissanjubjp
— Department Of Basic Education Uttar Pradesh (@basicshiksha_up) April 7, 2023
शिक्षामित्र अनुदेशकों के नाम से किए गए इस ट्वीट को लेकर शिक्षामित्र अनुदेशकों में रोष व्याप्त है सोशल मीडिया पर इस आदेश का भारी विरोध किया गया। ट्वीट करते हुए यूजर्स के द्वारा लिखा गया की अंतरिक्ष को और शिक्षामित्रों को सरकार पूरा वेतन तक नहीं देती जबकि उनसे हर प्रकार का काम करा लिया जाता है।
गुरु नानक नाम के यूजर ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए लिखा कि शिक्षा मित्रों का शोषण करने में कोई कमी न रह जाए एक बार में फांसी की सजा सुना दो 10000 रुपये में क्या क्या कराओगे जो दस हजार मानदेय दे रहे हो उसे ऐसे ही भ्रमण में ही खर्च करा देना शिक्षा मित्रों के परिवार का अपना कोई खर्च नही है क्यों बद्दुआ ले रहे हो
उमेश कुमार जयसवाल ने लिखा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुलामी की मानसिकता से देश को बाहर निकालकर टैलेंट को, इनोवेशन को निखारने का प्रयास है।क्या उत्तर प्रदेश के संविदा कर्मी #प्रशिक्षित_शिक्षामित्रों एवं #अनुदेशकों को सरकार बंधुआ मजदूरी १००००₹ देकर नहीं करवा रही…?? शिक्षामित्रों का स्थाई समाधान कब..??
अभिषेक अवस्थी नाम के यूजर ने लिखा कि क्यों लोकतंत्र की हत्या कर रहे हो,एक तो 10000 मानदेय वो भी 11 माह का,महोदय कितना भी प्रयास कर लो लेकिन लोग कान्वेंट में जा रहे हैं,उस समय कोरोना की वजह से बच्चे आ गए थे।
दिनेश आनंद ने लिखा कि बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षा मित्रों एवं अनुदेशकों से काम तो लेना जानती हो लेकिन मानदेय, वेतन के नाम पर पिछले 6 सालों में ₹1 की बढ़ोतरी नहीं की गई बहुत सारे जिलों में अध्यापकों को वेतन मिल गया होगा लेकिन अभी तक शिक्षामित्र मानदेय का ग्रांट ही जारी नहीं हो पाया कितना अन्याय करते हैं।
हालांकि कि एक अन्य ट्वीट मे कहा गया है कि शिक्षा की अलख जलाना है, हर बच्चे को स्कूल पहुंचाना है। शारदा कार्यक्रम के तहत शिक्षक, बीईओ, अनुदेशक व शिक्षामित्र घर-घर जाकर स्कूल ड्रॉप आउट बच्चों की करेंगे पहचान, पहुंचाएंगे स्कूल।