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उत्तर प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए सन 2001 में ग्रामीण स्तर पर बीएड को वरीयता देते हुए शिक्षामित्रों की भर्ती पैरा टीचर अर्थात बतौर उपशिक्षक की गई।तब से आज तक (समायोजन रद होने के साथ) शिक्षामित्र परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हैं। आइये इन गुजरे 20 वर्षों की अगर बात करें तो देखें कहाँ है ये पैरा टीचर्स…
शिक्षामित्र : उत्तर प्रदेश की महत्त्वपूर्ण योजना
शिक्षामित्र उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा को व्यवस्थित और सुदृढ़ करने और विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिये नियुक्त किये गये उप-शिक्षक हैं। यहाँ यह भी जानना ज़रूरी है कि शिक्षामित्रों को नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन देने का प्रावधान नहीं किया गया और इनकी नियुक्ति केवल संविदा के आधार पर सत्रवार ही होती है। देश के अन्य प्रदेशों में भी इस तरह के उप-शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है, जैसे: महाराष्ट्र में शिक्षा सेवक, मध्य प्रदेश में शिक्षा कर्मी इत्यादि।
शिक्षामित्र: इतिहास की नजर में
सर्व शिक्षा अभियान को गति को सार्वभौमिक बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 65 % तथा राज्य के 35% के सहयोग से प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने की योजना 2001 में बनाकर उत्तर प्रदेश में भी यह लागू की गई। सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नीति निर्माताओं ने संविदा पर शिक्षकों को रखने की योजना की शुरुवात की, इसमें यह विशेष ध्यान दिया गया कि विद्यालय जिस गांव में हो उसी गांव का शिक्षित युवक या युवती सम्बंधित विद्यालय में 11 माह के शिक्षा सत्र के लिए ग्राम शिक्षा समिति के प्रस्ताव पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समित के माध्यम से चयन कर नियुक्त किया जाए। नियुक्त के पहले इन चयनित संविदा शिक्षको के एक माह के आवासीय प्रशिक्षण के लिए सम्बंधित जिला शिक्षा एव प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षित किया जायेगा जिसे शिक्षा मित्र का नाम दिया गया।
शिक्षामित्र: योग्यता और सेवा शर्तें
इनकी न्यूनतम योग्यता इण्टरमीडियट रखी गई लेकिन बी.एड को वरीयता दी गई। इन शिक्षा मित्रो को 11 माह के शिक्षा सत्र के लिए रखा गया इनको कोई भी विशेष अवकाश नहीं दिया गया। इन्हें शुरुवाती दौर में प्रति माह केवल 2250 ₹ मानदेय दिया जाता था इनकी सेवाओं से प्रभावित होकर राज्य सरकार ने 2006 में 3500 ₹ प्रति माह मानदेय देना शुरु कर किया। वहीं अब, वर्तमान समय में एक शिक्षामित्र को 10,000 प्रतिमाह वेतन प्रदान किया जाता हैं।
शिक्षामित्र: शिक्षक के पद पर समायोजन
2009 में RTE (राइट टू एजुकेशन) शिक्षा का अधिकार लागू होने पर शिक्षामित्रों को NCTE से अनुमति लेकर दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षित कर अखिलेश सरकार ने सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया गया जिसके बाद टी ई टी पास अभ्यर्थियों ने कोर्ट में शिक्षामित्रों के समायोजन के ख़िलाफ़ याचिका दायर कर दी।
शिक्षामित्र: कोर्ट द्वारा समायोजन का निरस्त किया जाना
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई 2015 में अपने एक निर्णय में बिना टीईटी पास शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक लगा दी बाद में 25 जुलाई 2017 को अंतिम आदेश के तहत भारत के उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के तकरीबन 1.72 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के पदों पर समायोजन ही निरस्त कर दिया।
शिक्षामित्र: कोर्ट की विपरीत कार्रवाई
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त आदेश में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि बिना टीईटी पास शिक्षामित्रों को शिक्षक के रूप में भर्ती न किया जाये।
शिक्षामित्र: कोर्ट ने सरकार से माँगा था ब्यौरा
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को टीईटी पास शिक्षकों की संख्या बताने के लिए 10 दिन का समय दिया था ? साथ ही कोर्ट ने प्रदेश के बेसिक शिक्षा सचिव को 27 जुलाई को अदालत में हाज़िर होने का आदेश दिया और कहा कि यदि वह पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही कमी जाएगी।
शिक्षामित्र: कोर्ट द्वारा भर्ती करने के तरीके पर सवाल
जस्टिस दीपक मिश्रा व यू.यू. ललित की पीठ ने यह आदेश तब दिया जब उसे बताया गया कि एक ओर जहाँ यूपी सरकार शिक्षकों के लिए टीईटी पास को काफी नहीं मान रही है और शैक्षणिक कैरियर ग्राफ भी देख रही है और वहाँ कम शिक्षित शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त कर रही है |
शिक्षामित्र: शिक्षक पद पर नियुक्ति अवैध क्यों?
कोर्ट ने बिना टीईटी पास लोगों को शिक्षक के रूप में नियुक्त करना सरकार के दिशा-निर्देशों और NCTE के नियमों के विरुद्ध माना साथ ही कोर्ट ने टिप्पणी की कि शिक्षामित्रों को नियुक्त करने सम्बन्धी 19 जून 2014 के परिपत्र में भी कहीं टीईटी योग्यता का जिक्र नही है। तब कोर्ट ने कहा की सरकार साधारण मसले को जटिल बना रही है जबकि यह गंभीर मामला है।
◆ शिक्षक भर्ती में शैक्षिक योग्यता का नियम कोर्ट ने किया था निरस्त
जब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती के विवाद में सुनवाई की थी तब प्रदेश सरकार ने नियम बनाया था की शिक्षक योग्यता परीक्षा के अंको के साथ उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता को भी मेरिट में शामिल किया जायेगा लेकिन छात्रों की याचिका पर हाईकोर्ट ने इस नियम को रद्द कर दिया था ।
◆ तब कोर्ट ने TET को शिक्षकों की भर्ती का माना था आधार
सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती में टीईटी को ही आधार माना।कोर्ट ने कहा था कि शैक्षणिक योग्यता की मेरिट यानी कैरियर ग्राफ को टीईटी के साथ विचारित करना तार्किक नहीं है।आखिर हर विश्वविद्यालय शिक्षा बोर्ड जैसे यूपी बोर्ड, CBSE बोर्ड, ICSE बोर्ड और संस्थानों का अंक देने का तरीका अलग होता है। यूपी में अनेक विवि और शिक्षण संस्थाएं हैं जो एक ही विषय का अलग मूल्यांकन करती हैं। प्रतियोगी परीक्षा का उद्देश्य योग्यता को एक सामान रूप में जांचना होता है जिसके बाद अपने पूर्व के अंतरिम आदेश को बिना डिस्टर्व किये टी ई टी मेरिट से चयन को सही माना पर आगे बची भर्ती को उस दिशा में सरकार को अन्य नियमावली के तहत भर्ती का निर्देश दिया।
◆ शिक्षामित्रों की ओर से दी गयी वकीलों की दलीलें
तत्कालीन कोर्ट सुनवाई में शिक्षामित्रों की ओर से सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल, नितेश गुप्ता, जयंत भूषण, RS सूरी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने अपनी ओर से दलीलें पेश की थी जिसमें वकीलों का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत प्रदान करते हुए व मानवीय आधार पर सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को जारी रखा जाए क्योंकि शिक्षामित्र कई वर्षों से काम कर रहे हैं वे अधर में हैं लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नकार दिया।
◆ शिक्षामित्रों की ओर से वरिष्ठ वकील नितेश गुप्ता ने टीईटी पास शिक्षा मित्रों के लिए रखा तर्क
वरिष्ठ वकील नितेश गुप्ता ने कोर्ट को बताया था कि सहायक शिक्षक बने तकरीबन 22 हजार शिक्षामित्रों के पास स्नातक बीटीसी और टीईटी पास जैसी वांछनीय योग्यता है लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों को नियमित नहीं किया गया वरन सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है।
◆ अन्य वकील ने कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति पिछले दरवाजे से नहीं हुई थी बल्कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी शिक्षामित्र पढ़ाना जानते हैं। उनके पास अनुभव है। वे वर्षों से पढ़ा रहे हैं। सभी की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शिक्षामित्र: सुप्रीमकोर्ट का अंतिम आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि समायोजित किए गए 1.72 लाख शिक्षामित्र नहीं हटाए जाएंगे लेकिन उन्हें दो भतिर्यों के अंदर टी ई टी की परीक्षा पास करनी होगी जिसमें उन्हें राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अनुभव का भी वेटेज दिया जाएगा साथ ही सरकार को दो साल में दो बार टीईटी आयोजित करनी होगी। इनमें से एक भी टेस्ट में अगर कोई पास हो जाता है तो उसकी नियुक्ति सहायक अध्यापक के पद पर हो जाएगा।
to be continued…
साथियों इसके आगे का विश्लेषण आप सभी को ‘शिक्षामित्र एक आंकलन पार्ट- 2 ‘ में पढ़ने को मिलेगा।