शाहजहाँपुर के छावनी परिषद स्थित नालंदा स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में बहुप्रतीक्षित मिड डे मील योजना के तहत बच्चों के लिये आज से भोजन बनना प्रारम्भ हो गया। बच्चों के लिए आज पहले ही दिन भोजन खिलाने के लिए विद्यालय द्वारा कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए विशेष प्रबंध किया गया।आज प्रथम दिन कक्षा 1 से 8 तक के नामांकित 465 बच्चों के सापेक्ष 425 बच्चों ने भोजन किया।
विद्यालय की प्रधानाचार्या अनीता श्रीवास्तव इस दौरान बहुत उत्साहित नज़र आई उन्होंने कहा नालंदा स्कूल ऑफ एक्सीलेंस कैंट बोर्ड के CEO किरण सबंडकर के मार्गदर्शन में नित नई ऊंचाइयों को छूता जा रहा है। विद्यालय का पूरा कायाकल्प इस बात का ताजा उदाहरण हैं।
अनीता श्रीवास्तव ने बताया कि कैंट बोर्ड के स्कूल के बच्चों के लिए भी परिषदीय स्कूलों के बच्चों की भांति शासन द्वारा प्रस्तावित मिड डे मील योजना का लाभ मिलना शुरू हो गया है। बच्चों के लिए स्वादिष्ट व गुणवत्तापूर्ण मिड डे मील दिनों के अनुसार निर्धारित मेन्यू के अनुसार ही बनना शुरू हो गया है।
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विद्यालय के बच्चों के लिए हाथ व प्लेट को धोने के लिए कैंट बोर्ड से पानी के टैंकर की अलग व्यवस्था की गई थी जहाँ बच्चों ने कतार बद्ध होकर हाथ और अपनी प्लेट को धोया। प्रार्थना स्थल पर पंक्तियों में कतार बद्ध बैठकर सभी बच्चों ने आज प्रथम दिन सोयाबीन बरी युक्त तहरी को खाया।तहरी खाते हुए आज बच्चे भी बहुत खुश नजर आए।
प्रधानाचार्या श्रीवास्तव ने बताया कि खाने में प्रयुक्त होने वाला तेल और मसाला शासन द्वारा निर्धारित ब्रांड का ही इस्तेमाल कराया जा रहा है साथ ही रसोईघर में बनने वाले भोजन के दौरान सफ़ाई का विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
मिड डे मील के उद्घाटन दिवस पर उपस्थित कैंट CEO किरण सवंडकर , कैंट बोर्ड के एडम कमाण्डेन्ट कर्नल राजगोपाल ,कैंट पूर्व उपाध्यक्ष अवधेश दीक्षित, सभासद गजेंद्र गंगवार ने भी बच्चों के साथ तहरी का भोजन किया।
इस दौरान CEO किरण सवंडकर ने बच्चों को संबोधित करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा सभी बच्चे खाना खाने से पहले हैंडवाश ज़रूर करें और उतना ही भोजन ले जितना खा पाएं। खाने को बर्बाद नहीं करना है और खाना खाते समय भी खाना ज़मीन पर नहीं गिरे इस बात का विशेष ध्यान भी रखना है।
आज विद्यालय में बनने वाले मिड डे मील के प्रथम दिवस पर सभी शिक्षकों ने भी तहरी खाई।
आइये जाने !
क्या है मिड डे मील योजना ? What is Mid Day Meal Scheme?
मिड डे मील योजना को जिन भी स्कूलों में चलाया जाता है उन सभी स्कूलों के लिए सरकार ने गाइडलाइंस तैयार की हैं और इन गाइडलाइंस का पालन हर स्कूल को करना पड़ता है।
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● मिड डे मील से जुड़ी प्रथम गाइडलाइन के मुताबिक जिन स्कूलों में मिड डे मील का खाना बनाया जाता है, उन स्कूलों को ये खाना रसोई घर में ही बनाना होता है। कोई भी स्कूल किसी खुली जगह में और किसी भी स्थान पर इस खाने को नहीं बना सकता है।
● दूसरी गाइडलाइन के मुताबिक रसोई घर, क्लास रूम से अलग होना चाहिए, ताकि बच्चों को पढ़ाई करते समय किसी भी तरह की परेशानी ना हो।
● स्कूल में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले ईंधन जैसे रसोई गैस को किसी सुरक्षित जगह पर रखना अनिवार्य है। इसी के साथ ही खाना बनाने वाली चीजों को भी साफ जगह पर रखने का जिक्र इस स्कीम की गाइडलाइन में किया गया है।
● जिन चीजों का इस्तेमाल भी खाना बनाने के लिए किया जाएगा उन सभी चीजों की क्वालिटी एकदम अच्छी होनी चाहिए और पेस्टिसाइड वाले अनाजों का प्रयोग किसी भी प्रकार के खाने में नहीं किया जाना चाहिए।
●खाने बनाने के लिए केवल एगमार्क गुणवत्ता और ब्रांडेड वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाने का उल्लेख भी इस योजना की गाइडलाइन में किया गया है।
●खाना बनाने से पहले सब्जी, दाल और चावल को अच्छे से धोने का नियम भी इस स्कीम की गाइडलाइन में जोड़ा गया है।
●गाइडलाइन के मुताबिक जिस जगह यानी भंडार में खाने की सामग्री को रखा जाएगा उस भंडार घर की साफ पर भी अच्छा खासा ध्यान देना होगा।
●जिन रसोइयों द्वारा बच्चों को दिए जानेवाला ये खाना बनाया जाएगा, उन रसोइयों को भी अपनी साफ सफाई का ध्यान रखना होगा। खाना बनाने से पहले रसोइयों को अपने हाथों को अच्छे से धोना होगा और उनके हाथों के नाखून भी कटे होने चाहिए। इसकी के साथ जिस व्यक्ति द्वारा बच्चों को खाना परोसा जाएगा उसे भी अपनी साफ सफाई का ध्यान रखना होगा।
●खाना बनने के बाद उस खाने का स्वाद पहले दो या तीन लोगों को चखना होगा और इन दो तीन लोगों में से कम से कम एक टीचर शामिल होना चाहिए।
● मिड डे मील योजना सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा चलाई गई एक योजना है जिसके जरिए स्कूल में पढ़ रहे छोटी आयु के बच्चों को पोषक भोजन खाने के लिए दिया जाता है। ये योजना काफी सालों से हमारे देश में चल रही है और इस स्कीम को हर स्टेट के सरकारी स्कूलों में चलाया जा रहा है।