नियमावली को ताख पर रख परिषदीय शिक्षकों के वेटेज कैंसिल कर निरस्त कर दिए तबादले, कार्यमुक्ति के लिए दर दर भटक रहे टीचर
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में अंतर्जनपदीय तबादलों की खिचड़ी अभी तक नहीं पक पाई है। शिक्षा विभाग ने नियमावली को ताख पर रखकर परिषदीय शिक्षकों के वेटेज कैंसिल कर तबादले निरस्त कर दिए।फिलहाल अब तक कार्यमुक्ति के लिए टीचर दर दर भटक रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने बेसिक शिक्षा परिषद के द्वारा निर्धारित नियमावली के आधार पर किए गए को तबादलों को एक ताख पर रखकर कहीं मौखिक तो कहीं लिखित रूप से निरस्त कर दिए जिसके चलते इससे प्रभावित शिक्षक दो माह से तैनाती व कार्यमुक्ति के लिए भटक रहे हैं व परेशान होते हुए शिक्षामंत्री ,शिक्षा सचिव, डीजी शिक्षा और अधिकारियों के चक्कर काटते हुए नजर आ रहे हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा कई वर्षों की कवायद के बाद जून अंत में 16614 शिक्षकों के तबादले की सूची जारी की गई जिसके बाद कार्यमुक्ति व तैनाती की प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन वह अब तक पूरी नहीं हो पाई।
दर्जनों आदेशों के बाद भी कई जिलों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सूचनाएं नहीं अपडेट कर पाये इसी बीच कई ऐसे शिक्षकों के तबादले निरस्त कर दिए गए जिनको वेटेज के आधार पर पहले तबादला किया गया और फिर मौखिक आदेश के चलते तबादला निरस्त कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश में हुए टीचर्स तबादलों के तहत कहीं पर इसका कारण जिले में समय से न होने वाली पदोन्नति बताई गई तो कहीं पर भारांक को सही नहीं बताया जा रहा है जिसके बाद इससे परेशान टीचर्स आए दिन जहां BSA कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं वहीं निदेशालय से लेकर एससीईआरटी पर आए दिन धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
टीचर्स ने एनपीआर ने बताया कि मौखिक रूप से वीडियो कांफ्रेंस या गूगल मीट पर बीएसए को आदेश देकर स्थानांतरित शिक्षकों की रिलीविंग के एक दिन पहले रोक दी गई। उनका कहना है कि जब जांच के बाद उनका तबादला किया गया तो फिर अब किस आधार पर उन्हें रोका गया। इस धीमी गति से चल रही प्रक्रिया के बीच दो महीने बीत गए और अब तक शिक्षकों का स्कूल आवंटन भी नहीं हो पा रहा है। इन सबका असर पठन- पाठन पर भी पड़ रहा है।
टीचर्स ने बताया कि हर जिले में सीडीओ कमेटी के द्वारा शिक्षकों के सभी डॉक्युमेंट्स दोबारा चेक किए गए। स्थानांतरण सूची में जिन लोगों का नाम पति पत्नी भारांक की वजह से नहीं आया उन लोगों ने कोर्ट केस कर दिए और इसलिये सूची में स्थानांतरित हुए शिक्षकों को भी रिलीविंग के एक दिन पहले मौखिक आदेश पर रोक दिया गया हालांकि ऐसा कोई लिखित शासनादेश नहीं है।
कार्यमुक्ति के लिए भटक रहे टीचर्स का कहना है कि डीजी शिक्षा, शिक्षा सचिव और तो और शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के सचिव भी ऐसे मौखिक आदेश की वकालत कर रहें हैं। ये लोग नियमावली की दुहाई दे रहे हैं और कह रहे हैं कि नियमावली के तहत आप लोगों का भारांक गलत है।
कार्यमुक्ति से वंचित टीचर्स पिछले ढ़ाई महीने से अधिकारियों और मंत्रियों से मिल रहे हैं पर अभी तक उनकी प्रोब्लम का कोई निवारण नही हुआ। 13 सितंबर से स्कूल का आवंटन होना शुरू भी हो गया मगर इन टीचर्स की अभी कोई सुध लेने वाला नहीं है।
टीचर्स ने एनपीआर को बताया कि 5–8 सालों से इंतजार करने पर ये मौका मिला अब उसमें भी मौखिक निर्देश देकर हमें रोक दिया गया ये सरासर नाइंसाफी है। विभाग हमारा शोषण कर रहा है। टीचर्स ने कहा कि हमारी समस्या का निवारण नहीं हो पा रहा हमे कार्यमुक्त करने की बजाय डीजी शिक्षा ने हमारे वेटेज को ही फर्जी बता दिया। यह वही वेटेज है जो विभाग द्वारा पहले सही करार किए गए और जिनके आधार पर हमारा तबादला किया गया।