उत्तर प्रदेश में जल्द ही प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य के रिक्त पदों को विभागीय परीक्षाओं से भरा जाएगा। राज्य सरकार इस वर्ष के अंत तक इन रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया पूरी करेगी।
उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में जूनियर हाई स्कूलों में अर्थात 8वीं तक के विद्यालयों में प्रधानाचार्य पद के लिए अब पहले से नियुक्त परिषदीय शिक्षकों को अब विभागीय परीक्षा से गुजरना होगा। नई शिक्षा नीति के तहत शासनादेशों के क्रम में अब रिक्त पदों पर 40 फीसदी भर्ती विभागीय परीक्षाओं से और 60 फीसदी के लिए विभिन्न मानकों पर प्रोन्नति करके नियुक्ति दी जाएगी।
केन्द्र सरकार ने राज्यों को इस प्रक्रिया को 31 दिसम्बर 2021 तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं इसलिए ऐसी पूरी संभावना है कि उत्तर प्रदेश सरकार 2022 के चुनाव को देखते हुए इन रिक्त पदों को वर्ष के अंत तक मतलब दिसम्बर तक भर सकती है।
मीडिया रिपोर्ट के आँकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश के 1 लाख 59 हज़ार प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के तकरीबन 52 हज़ार 317 पद रिक्त हैं इनमें 30 हज़ार 426 पद जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापकों के हैं आपको बता दें कि ये पद लम्बे समय से रिक्त चल रहे हैं। वार्षिक कार्ययोजना की बैठक में राज्य ने केन्द्र को लिखित रूप से आश्वासन दिया है कि राज्य इन्हें विभागीय परीक्षाओं व मानकों के आधार पर प्रोन्नति देकर वरीयता के आधार पर भरेगा।
हाँलाकि केन्द्र ने 50 फीसदी पद सीधी भर्ती से भरे जाने की बात कही लेकिन राज्य ने इस तरीके से भर्ती करने के लिए मना कर दिया। विभागीय अफसरों का कहना है कि हम केवल प्राइमरी स्कूलों के लिए सहायक अध्यापक सीधी भर्ती से लेते हैं और बाकी पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाते हैं। इस निर्णय से कार्यरत शिक्षकों का अहित होगा।
बाकी के 60 फीसदी पदों के लिए ऑपरेशन कायाकल्प, बच्चों की हाजिरी, स्कूल का सैट स्कोर, मिशन प्रेरणा के अन्य बिन्दु मानकों के रूप में तय होंगे।विभाग इससे पहले गोपनीय आख्याओं में ये मानक लागू कर चुका है लिहाजा इसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी।
विभागीय परीक्षा के लिए विभाग को सेवा नियमावली में करना होगा संशोधन
40 फीसदी पद विभागीय प्रोन्नति से भरने में विभाग को काफी तैयारी करनी होगी। बेसिक शिक्षा शिक्षक सेवा नियमावली-1981 में यह व्यवस्था की गई है कि प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक सीधी भर्ती से लिए जाते हैं। इसके बाद प्राइमरी के हेडमास्टर, जूनियर स्कूल के शिक्षक व हेड मास्टर के पद 100 फीसदी प्रोन्नति से भरे जाते हैं। इसके लिए विभाग को सेवा नियमावली में संशोधन करना होगा। पिछले वर्ष (2020-21) की बैठक में भी केंद्र ने यह निर्देश दिया था लेकिन राज्य ने अपने नियमों के परीक्षण करने का हवाला दिया था।
ये होगी चुनौती
गौरतलब है कि अब से पहले प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य के पद प्रमोशन से भरने का प्रावधान रहा है और अब यदि बेसिक शिक्षा विभाग इसके लिए विभागीय परीक्षा का प्रावधान करेगा तो शिक्षक समूह नाराज हो जाएंगे और वे इसे मुद्दा बनाकर न्यायालय चले जाएंगे क्योंकि इससे पहले राज्य सरकार ने केंद्र के निर्देशों के बाद जूनियर हाईस्कूल में 29448 गणित व विज्ञान के शिक्षकों की सीधी भर्ती की थी और इस भर्ती को शिक्षकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
किन शिक्षकों का होगा फ़ायदा- नुकसान
ऐसे शिक्षक जो वरिष्ठता क्रम में प्रमोशन से दूर रह जाते थे और जिनका नाम अन्य की अपेक्षा बाद में हुई नियुक्ति के चलते वरिष्ठता सूची में सबसे निचले पायदान पर रहता था ऐसे शिक्षकों को प्रमोशन पाने के मौका का लाभ मिलेगा और इसके विपरीत सर्विस के वर्षों के आधार पर वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर स्थान बनाने वाले शिक्षकों को खामियाजा उठाना पड़ेगा क्योंकि 50 की उम्र पार कर चुके शिक्षकों को विभागीय परीक्षा देकर प्रमोशन पाना वर्तमान परिदृश्य के चलते काफ़ी कठिन रहेगा।