अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल में 1894 प्रधानाध्यापकों एवं सहायक अध्यापकों की भर्ती से उन अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया था जिनके स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक थे उस दौरान विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा बिना तारीख के नोटिस जारी कर बताया गया था कि ग्रेजुएशन में 50% से कम अंक लाने वाले उम्मीदवार आवेदन ना करें।
फ़िर भी मज़े की बात यह रही कि नोटिफिकेशन के बावजूद स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक पाने अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आवेदन कर दिया जिसके बाद सचिव ने अर्हता के लिए 18 फरवरी के शासनादेश और उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त बेसिक स्कूल (जूनियर हाईस्कूल) (अध्यापकों की भर्ती एवं सेवा की शर्तें) नियमावली 1978 (सातवां संशोधन) नियमावली 2019 की अधिसूचना 4 दिसंबर 2019 का हवाला देते हुए अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र निरस्त कर कहा कि 50 प्रतिशत से कम अंक वाले अभ्यर्थियों को इस भर्ती परीक्षा में सम्मिलित नहीं किया जाएगा हाँलाकि अभ्यर्थियों का तर्क है कि बीएड के बाद शिक्षक भर्ती में नियम समय-समय पर बदलते रहे हैं और ऐसे बहुत से अभ्यर्थी हैं जिन्होंने स्नातक में 50 फीसदी अंक नहीं होने के बावजूद परास्नातक में 50 प्रतिशत नंबर के आधार पर बीएड कर साथ ही नौकरी पाई।
अभ्यर्थियों ने किया कोर्ट का रुख
सचिव द्वारा निर्गत किये गए शासनादेश व नियमावली के ख़िलाफ़ एडेड जूनियर हाईस्कूल की भर्ती में स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक होने पर बाहर किए अभ्यर्थियों ने कोर्ट का रास्ता अख्तियार किया। कोर्ट गए अभ्यर्थियों का तर्क था कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने उन्हें बीएड में प्रवेश की अनुमति दी थी और अब उन्हें बाहर करना नाइंसाफी है।
फिलहाल सूत्रों की मानें तो आज इसी प्रकरण में 50% स्नातक वालों को मौका न देने के सबंन्ध में याचियों के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में पक्ष रखा जिसमें न्यायमूर्ति महोदय ने सरकार के उस नोटिफिकेशन को गलत करार दिया जिसमे 50% से स्नातक में कम अंकों वालो को मौका न देने की बात कही गयी।
कोर्ट में जज ने स्नातक में 50 प्रतिशत अंक पाए अभ्यर्थियों को बाहर रखने के आधार के सम्बंध में सरकारी वक़ील को अगली 30 सितम्बर को होने वाली सुनवाई में ज़बाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
72825 भर्ती में मिल चुकी है राहत
यहाँ आपको बता दें कि स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक वाले अभ्यर्थियों का मामला परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में भी उठा था। इन अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी और उन्हें राहत मिली। सरकार को 50 प्रतिशत से कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देना पड़ा था।