प्रयागराज उच्च न्यायालय ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल सहित 16 जिलों के BSA, वित्त व लेखाधिकारियों के खिलाफ अवमानना का आरोप तय किया है।
यूपी के जनपद आजमगढ़, सहारनपुर, गाजीपुर, महाराजगंज, बिजनौर, मुरादाबाद, बरेली, देवरिया, शामली, हाथरस, बलिया, जालौन, प्रयागराज, बस्ती, मथुरा, सिद्धार्थनगर आदि जिलों में तैनात जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों व वित्त एवं लेखाधिकारियो के खिलाफ सेवाकाल के दौरान मृत अध्यापकों के वारिसों को ग्रेच्युटी भुगतान करने के आदेश की अवहेलना करने के लिए कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा क्यों न आपको दंडित किया जाय।
हाईकोर्ट ने कहा कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का यह वैधानिक दायित्व बनता है कि जैसे ही किसी शिक्षक की मृत्यु की सूचना मिलती है उसके बाद तुरंत उसकी विधवा, आश्रितों या वारिसों को सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान सुनिश्चित कराया जाए। हाईकोर्ट ने कहा पिछले डेढ़ साल से कोर्ट आदेश पालन करने का आदेश दे रही है। हजारों वेटेज कैंसिल होने के बाद इन शिक्षकों को मिलेगा अंतर्जनपदीय स्थानांतरण 2023 का लाभ
हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सचिव प्रयागराज कार्यालय की बजाय लखनऊ कार्यालय पर ही बैठे रहते हैं जिससे वो अपना कार्यदायित्व निभाने में विफल हो रहे हैं।सचिव ने अपने अधीनस्थों पर नियंत्रण खो दिया है जिससे आदेश को कोई BSA नहीं मान रहा। हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व महानिदेशक बेसिक शिक्षा को इस मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि यूपी में कुल 1276 अध्यापकों के भुगतान के सापेक्ष 355 अध्यापको के मामले में आदेश का पालन किया जा चुका है।अब केवल 921 मामले प्रक्रियाधीन है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल समेत कोर्ट द्वारा इन सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों और वित्त लेखाधिकारियों के खिलाफ अवमानना आरोप तय कर एक माह में सफाई मांगी है जिसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव व महानिदेशक को आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
कोर्ट में दाखिल सभी याचिकाओं पर अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुदेश पाल मलिक सहित कई दर्जन अवमानना याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए कहा कि सेवाकाल में मृत अध्यापकों की विधवा या वारिसों को ब्याज सहित ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी अधिकारियों पर अनुच्छेद 142 के तहत बाध्यकारी है।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी चार माह में भुगतान करने और भुगतान न कर पाने पर 18 प्रतिशत ब्याज सहित ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया था।