यूपी टीचर्स ट्रांसफर की प्रक्रिया के तहत पति-पत्नी स्पाउस शिक्षकों के स्थानांतरण के बाद बावजूद शासन द्वारा कार्य मुक्ति न किए जाने के बाद सभी टीचर्स ने डिप्टी सीएम को पत्र भेज कर कार्य मुक्ति करने की गुहार लगाई है।
शिक्षकों द्वारा डिप्टी सीएम को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शिक्षकों के अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण में पूरे उत्तर प्रदेश में पति पत्नी वेटेज वाले लगभग 1000 शिक्षक शिक्षिकार्य स्थानान्तरित होकर भी केवल कार्यमुक्ति हेतु परेशान है ।
लिखित जी.ओ. के आधार पर जनपदीय कमेटी द्वारा ही सत्यापन पश्चात स्थानान्तरित हो चुके बैंक ऑफ बड़ौदा, एसबीआई, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एलआईसी, UPPCL, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, एडेड कॉलेज, वायुसेना, BSNL, माध्यमिक शिक्षा विभाग, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, FCI, IOCL, BPCL EIL कोल इंडिया, CBI, पोस्ट ऑफिस आदि सभी विभागों में कार्यरत पति पत्नी (स्पाउस) के वेटेज अचानक कार्यमुक्ति के समय एक अप्रत्याशित आदेश के तहत रोक दिए गए।
शिक्षकों ने पत्र में कहा कि जबकि पिछले हर स्थानान्तरण में उसी लिखित जी.ओ. के आधार पर इन सभी विभागों के पति पत्नी भारांक वालों को स्थानान्तरण और कार्यमुक्ति हुई है लेकिन इस बार ठीक कार्यमुक्ति के पहले मौखिक निर्देश देकर रोक देना स्थानान्तरण के मूल उद्देश्य जैसे महिला शिक्षक अपने घर के पास जाकर निश्चिन्त व भयरहित होकर बच्चे परिवार का ठीक से देखभाल करते हुए नौकरी करने को ही नष्ट कर रहा है।
बिना किसी शासनादेश के अप्रत्याशित तरीके से मौखिक आदेश के तहत जी.ओ. का हवाला देते हुए विभिन्न जनपदों में उक्त विभागों के ही कई शिक्षको को भेदभाव व मनमाने तरीके से रोक लिया गया व कार्यमुक्त किया जा रहा है। इस प्रकार के मौखिक निर्देश से परेशान तकरीबन 1000 शिक्षकों से अधिक समुदाय व उनके बच्चे, परिवारजन, रिश्तेदारों, मित्र सभी अचंभित व दुःखी है जिससे सरकार के प्रति असंतोष व्याप्त हो रहा है।
छोटे छोटे बच्चों को लेकर शिक्षिकार्य 150-200 किमी दूर बीएसए कार्यालय का चक्कर काटकर परेशान हो रही है। आखिर शिक्षिकाओं को परेशान करने वाले इस प्रकार के रोक से विभाग, सरकार व समुदाय को क्या हासिल होगा।
इससे शासन द्वारा ही किये गये पूरी प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है, और उक्त विभागों में नियुक्ति हेतु आयोजित कठिन परीक्षाओं / प्रक्रिया/ संस्थानों पर भी प्रश्न खड़ा हो रहा है। जबकि बेसिक शिक्षक स्वयं ही अर्थ सरकारी होते हैं फिर भी केवल कार्यमुक्त हेतु पूर्ण सरकारी संस्थान के कर्मचारी की मौखिक मांग आश्चर्यजनक है। इससे हम सभी बेहद कष्ट में हैं।
शिक्षकों ने उदारता एवं सहानुभूतिपूर्वक एक स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए उक्त विभागों के स्थानान्तरित हो चुके शिक्षकों को कार्यमुक्त करने का निवेदन किया है।