उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में लगातार सेंध मार कर नियुक्ति पाने की खबरें सामने आ रही है।अभी हाल में पुलिस द्वारा माह अगस्त में कानपुर के 2 शिक्षकों को गिरफ्तार करने की खबर मीडिया की सुर्खियां बनी थी। वहीं गोरखपुर में एक और फर्जी महिला शिक्षक के नौकरी करने का मामला सामने आया है।
प्राथमिक और परिषदीय विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। फिलहाल ऐसा ही एक मामला गोरखपुर के जंगल कौड़िया स्थित प्राथमिक विद्यालय से सामने आया है। जहां प्रधानाध्यापक के रूप में तैनात शिक्षिका वंदना पांडे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रही थीं।
यूपी के जनपद गोरखपुर में पकड़ी गई महिला शिक्षक काफी समय से फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर नौकरी कर रही थी जबकि उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस दो फर्जी अनिल कुमार और बृजेंद्र कुमार नाम के टीचर को गिरफ्तार किया है। ये दोनों साल 2009 से नौकरी कर रहे थे। इतना ही नहीं दोनों प्रमोशन लेकर हेडमास्टर भी बन गए। इस मामले का खुलासा आरोपियों में से एक के रिश्तेदार की वजह से हुआ है।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित परिषदीय विद्यालय में एक हैरतंगेज मामला सामने आया है। बता दे कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अर्चना नाम की एक महिला शिक्षक वंदना के नाम से स्कूल में तैनात पाई गई।फर्जी तैनाती की शिकायत के बाद जब इसकी जांच हुई तो फर्जी महिला शिक्षक का सारा भेद खुल गया।
मामले का संज्ञान लेकर बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह गोरखपुर के निर्देश पर महिला और उसके पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। विभागीय जांच बैठने के साथ ही रिकवरी के आदेश जारी कर दिए गए हैं।
गोरखपुर बीएसए ने कहा कि बंदना को अपना पक्ष रखने के लिए दो बार नोटिस जारी कर बुलाया जा चुका है लेकिन अब तक वह अपना पक्ष रखने नहीं आई हैं। अगर वह 26 सितंबर तक अपना पक्ष रखने कार्यालय नहीं पहुंची तो इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट भेज दी जाएगी।
वंदना और बंदना, नाम में मामूली फर्क। इतने ही अंतर पर शिक्षक भर्ती में चुनी गई वंदना को पता नहीं चला और उसके नाम पर नकली अर्चना ने बंदना पांडेय के नाम पर नौकरी हथिया ली। नकली वाली महिला शिक्षक बंदना ने 13 साल नौकरी की, वेतन उठाया, लेकिन जांच में पकड़ी गई। जेल गई और बर्खास्त हो गई।
जिसके बाद महिला शिक्षक ने हाईकोर्ट में एक पक्षीय कार्रवाई का हवाला देकर याचिका दाखिल कर दी। अब हाईकोर्ट के आदेश पर उसे पक्ष रखने के लिए बुलाया जा रहा है लेकिन वह पहुंच नहीं रही। उधर, तीन साल से असली वंदना पांडेय नौकरी पाने की आस लगाए बीएसए दफ्तर के चक्कर काट रही हैं, उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।
फर्जी महिला शिक्षक ने हाईस्कूल की परीक्षा के दौरान अपना स्थायी पता अयोध्या बताया है तो वही नौकरी में उसने अपना स्थायी पता गोरखपुर स्थित मानीराम दर्शाया है, लेकिन पुलिस वेरिफिकेशन में पता चला है कि महिला देवरिया जिले की रहने वाली है। पुलिस की ओर से भी मुकदमा दर्ज कर महिला के फर्जी अभिलेखों की जांच की जा रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक, वंदना जिनका असली नाम अर्चना है, उनकी जॉइनिंग सबसे पहले सिद्धार्थनगर जिले में 2008 में हुई थी। बाद में तबादले के दौरान वंदना को गोरखपुर के जंगल कौड़िया स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रूप में तैनाती मिली थी। ऐसे में किसी ने शक के आधार पर शिकायत की तो एसटीएफ ने शिक्षिका के अभिलेखों के सत्यापन के लिए विभाग को सूचित कर जांच शुरू कराई तो मामला खुलकर सामने आ गया।
अयोध्या की रहने वाली वंदना पांडेय ने विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से 2007 में शिक्षक भर्ती के लिए सिद्धार्थनगर में आवेदन किया था। जब भर्ती की मेरिट सूची जारी हुई तो उसमें वंदना का नाम नहीं था। इसके बाद वंदना ने फिर दोबारा किसी भी शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन नहीं किया।
जांच में पता चला कि महिला जो वंदना बनकर बच्चों को पढ़ा रही है, उसका असली नाम अर्चना है। अभिलेखों के अनुसार इसका स्थायी पता अयोध्या का है। जब विभाग की ओर से सत्यापन के लिए साल 2020 में फर्जी शिक्षक भर्ती मामले की जांच कर रही एसआईटी की ओर से अयोध्या की रहने वाली वंदना को जब नोटिस भेजा गया तो वंदना और उनके परिवार के लोग परेशान हो गए, क्योंकि उन्हें तो नौकरी मिली ही नहीं थी। नोटिस के अनुसार, वह गोरखपुर के जंगल कौड़िया में स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं ।
वंदना ने विभाग से जानकारी ली तो पता चला कि उनके दस्तावेज पर बंदना पांडेय नौकरी कर रही थी। इसके बाद वंदना ने (बंदना उर्फ अर्चना) फर्जी शिक्षिका पर केस दर्ज कराया, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया और विभाग ने उसे बर्खास्त भी कर दिया।
इस निर्णय के विरोध में फर्जी शिक्षिका हाईकोर्ट चली गई और कहा कि बिना उनका पक्ष जाने कार्रवाई कर दी गई। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बर्खास्त शिक्षिका को अपना पक्ष रखने के लिए दो बार बेसिक शिक्षा कार्यालय बुलाया गया, लेकिन वह नहीं पहुंची।
बीएसए रामेंद्र सिंह का कहना है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाली शिक्षिका के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही रिकवरी के आदेश जारी करते हुए थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।