वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार बनने के बाद 2012 में 72825 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन मायावती सरकार में निकली 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन को रद्द करके निकाला गया था। या यूं कहें कि सरकारों की महत्वाकांक्षाओं के बीच शिक्षक भर्तियां भेंट चढ़ गई और तो और शिक्षक पद का वेतन पा रहे समायोजित शिक्षामित्रों का शिक्षक पद से समायोजन निरस्त हो गया।
New Advertisement 2012 Teacher Recruitment
सुप्रीम कोर्ट में चली लंबी सुनवाई के बाद मायावती सरकार के विज्ञापन को सही ठहराते हुए कोर्ट के अंतरिम और अंतिम आदेश के तहत 2011 में निकले 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन पर ही अचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई जिसके बाद 2012 में अखिलेश सरकार के द्वारा निकाले गई नए विज्ञापन पर 72825 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अटक गई। मायावती और अखिलेश सरकार में निकाले गए शिक्षक भर्ती के विज्ञापन की चयन प्रक्रिया की नियमावली अलग-अलग रखी गई थी।
Yogi government’s action on new advertisement 2012
72825 शिक्षक भर्ती का विवाद सन 2012 में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार बनने के साथ से शुरू हुआ और 2017 में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के सत्ता से बाहर होने के साथ जाकर खत्म हुआ क्योंकि इसके बाद उत्तर प्रदेश में आई भाजपा की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी के बावजूद 72825 शिक्षक भर्ती के नए विज्ञापन पर कोई सुनवाई नहीं की। न्यू एड पर अब तक किसी भी अचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट में चली लंबी सुनवाई के बाद मायावती सरकार के विज्ञापन को सही ठहराते हुए कोर्ट के अंतरिम और अंतिम आदेश के तहत 2011 में निकले 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन पर ही अचयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई जिसके बाद 2012 में अखिलेश सरकार के द्वारा निकाले गई नए विज्ञापन पर 72825 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अटक गई। मायावती और अखिलेश सरकार में निकाले गए शिक्षक भर्ती के विज्ञापन की चयन प्रक्रिया की नियमावली अलग-अलग रखी गई थी।
72825 teacher recruitment was done by the order of the court
गौर करने वाली बात यह है कि मायावती शासन में निकली शिक्षक भर्ती समाजवादी शासन से होते हुए 2017 में बीजेपी की योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद समाप्त हुई। अगर यहां यह माना जाए कि सुप्रीम कोर्ट का 2017 में अंतिम आदेश नहीं आता तो आज भी मायावती शासन में निकले विज्ञापन पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं मिलती। और हुआ भी यही मायावती सरकार में निकली 72825 शिक्षक भर्ती के रिक्त 6170 पदों की सुनवाई आज तक किसी भी सरकार में नहीं हुई और शिक्षक भर्तियों में 30 से ₹35000 खर्च करने वाले अभ्यर्थी आज भी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।
The Supreme Court canceled the samayojan of Shikshamitras
शिक्षक भर्तियों का विवाद इतना बढ़ गया कि समाजवादी सरकार में शिक्षामित्रों का शिक्षक पद पर किया गया समायोजन भी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रद्द कर दिया गया। शिक्षामित्रों का शिक्षक पद पर समायोजन समाजवादी की अखिलेश सरकार ने शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा बीटीसी करवा कर पिछले दरवाजे से किया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गलत माना और शिक्षा मित्रों को 2 साल सहायक अध्यापक पर नौकरी करने के बाद वापस अपने शिक्षामित्र के मूल पद पर लौटना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के शिक्षामित्रों के पद के समायोजन निरस्त होने से उत्तर प्रदेश के 137000 शिक्षामित्र प्रभावित हुए।
Shikshamitras got two chances in teacher recruitment by order of Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का शिक्षक पद से समायोजन निरस्त करने के बाद यह आदेश दिया कि टेट पास शिक्षामित्रों को उत्तर प्रदेश में होने वाली अगली 2 शिक्षक भर्ती में शामिल होने का मौका दिया जाए जिसके लिए कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों के लिए शिक्षक भर्ती में भारांक भी निश्चित किया गया।
72825 teacher recruitment fell victim to political ambitions
मायावती शासन में निकली 72825 शिक्षक भर्ती के विज्ञापन को नष्ट करते हुए समाजवादी सरकार ने अपने शासन में नया विज्ञापन निकाला और शिक्षक भर्ती करने का मन बनाया। मगर कोर्ट में जाने के बाद अखिलेश सरकार के विज्ञापन पर अभ्यर्थियों को नियुक्त करने की लिबर्टी मिली और बसपा शासन के विज्ञापन पर अभ्यर्थियों को नियुक्ति। सुप्रीम कोर्ट से लिबर्टी पाए विज्ञापन को योगी सरकार ने सिरे से दरकिनार कर दिया। इस तरह राजनीतिक खींचतान के चलते पिछले 11 वर्षों से शिक्षक भर्तियों का विवाद निरंतर जारी है जबकि 68500 और 69 हजार शिक्षक भर्ती में नए और विवाद खड़े हुए जिनमें कुछ का पटाक्षेप हो गया और कुछ आज भी सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में लंबित है।