72825 शिक्षक भर्ती में शेष रह गए 6170 पदों की याचिका को 13 दिसंबर को हुई सुप्रीम कोर्ट सुनवाई में भले ही एक बार फिर से बिना सुने ही खारिज कर दिया गया हो मगर 6170 पदों का क्या हुआ यह प्रश्न अनसुना और यथावत ही रह गया।
पिछले 5 वर्षों से 6170 पदों की जमीनी स्तर से हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई लड़ रहे मेरठ निवासी वेद कुमार निमेश ने सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद कहा कि संपूर्ण दस्तावेज पक्ष में होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर बहस करने की अनुमति नहीं दी कोर्ट ने हमारे वकील को सुना ही नहीं। कोर्ट की इस कार्रवाई से एक बार तो हमने अपनी हार मान ली थी मगर सुप्रीम कोर्ट के इस सुनवाई से ही 6170 पदों की भर्ती का रास्ता भी साफ हुआ है उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट से खारिज हमारी याचिका को संजीवनी बूटी भी सुप्रीम कोर्ट ने ही दी है।
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निमेष ने जानकारी देकर बताया कि 6170 पदों की लड़ाई को एक बार पुनः नए सिरे से व नए तरीके से कोर्ट में लड़ा जाएगा और यह लड़ाई 6170 पदों का पार्ट 2 होगी। हमारे पास इस याचिका से संबंधित केवल दो ही मुद्दे बचे हैं पहला सरकार द्वारा दिया गया कोर्ट में झूठा काउंटर और दूसरा पदों को ना जोड़ने वाली आरटीआई।
बता दें कि अवशेष 6170 की हाइकोर्ट सिंगल बेंच की सुनवाई पहली अकेली सुनवाई थी जिसमें जस्टिस महेश चंद त्रिपाठी ने रिक्त 6170 पदों पर सरकार द्वारा सकारात्मक कदम ना उठाए जाने पर न्याय देते हुए सरकार को आदेशित किया कि आप 10 दिन में इन पदों पर भरने का विचार करें और यह कहकर मामले को डिस्पोज कर दिया
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश के बावजूद बाद सरकार ने 6170 पदों को नहीं भरा जिसके बाद अरविंद कुमार व अन्य याचियों के द्वारा कोर्ट के आदेश पर कोर्ट ऑफ कंटेप्ट किया जिसमें सरकार को कोर्ट द्वारा नोटिस इशू हुआ।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में अगली सुनवाई हो पाती और कोर्ट सरकार के 6170 पदों को 68500 शिक्षक भर्ती में जोड़ देने के झूठे हलफनामे पर जवाब मांगती उससे पहले संदीप कुमार गौतम के नाम से मुख्य याचिका को अरविंद कुमार व अन्य की याचिका के साथ कनेक्ट करते हुए सुनवाई की गई और याचिका खारिज कर दी गई।
सिंगल बेंच में याचिका खारिज होने के बाद याचियों के द्वारा आरटीआई से यह सूचना मांगी गई कि क्या 6170 पदों को 68500 शिक्षक भर्ती में जोड़ दिया गया है जिसके जिसकी सूचना एससीईआरटी ने “नहीं” में दी मतलब एससीईआरटी द्वारा साफ कहा गया कि रिक्त 6170 पदों को किसी भर्ती में 68500 भर्ती में नहीं जोड़ा गया। याचियों को मिली यह आरटीआई 6170 पदों के लिए संजीवनी बूटी साबित हुई। जो सरकार के झूठे काउंटर का खंडन करती है।
आरटीआई से आशान्वित होते हुए संदीप कुमार गौतम के बाद एक बार फिर से हाईकोर्ट की डबल बेंच में वेद कुमार के नाम से मुख्य याचिका डाली गई जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट में अपने झूठे काउंटर पर जवाबदेही देनी थी। मगर हाईकोर्ट की डबल बेंच की सुनवाई में ऐसा पहली बार हुआ जब मुख्य याचिका को कुलदीप मिश्रा व अन्य याचिकाओं से कनेक्ट करते हुए इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि रिक्त 6170 के मैटर पर सारी सुनवाई पहले हो चुकी है।
यहां हैरान कर देने वाली बात यह रही कि सरकार द्वारा रिक्त पदों 6170 को अन्य भर्तियों में जोड़ देने वाले दिए गए झूठे काउंटर पर कोर्ट की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई।कोर्ट की इस सुनवाई में याचियों के अधिवक्ता मूकदर्शक बने रहे इससे पहले इस सुनवाई में हैरान कर देने वाली बात यह भी थी कि मुख्य याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनवाई के लिए कोई भी नोटिस नहीं मिला।
केस को लीड कर रहे हैं मुख्य याचिकाकर्ता वेद कुमार निमेश ने कहा है कि शीशे की तरह पारदर्शी केस को ना जाने कोर्ट के जज क्यों नहीं देख पा रहे? इस केस को किसी ग्राम पंचायत स्तर पर भी रखा जाए तब भी गांव का मुखिया डिसाइड कर देगा कि आरटीआई में जब सरकार ने पदों को रिक्त दिखाया है तो सरकार कैसे पदों को भरने की बात कह सकती है।
वेद ने कहा कि हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट के किसी भी बेंच ने सरकार द्वारा दिए गए झूठे काउंटर पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया? ऐसा होना भी अपने आप में एक प्रश्न चिह्न?