6170 पदों के मुख्य याची वेद प्रकाश निमेष व अन्य की तरफ से बहस करने पहुंचे अधिवक्ता शाह आलम ने जैसे ही इस केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा वैसे ही सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस धूलिया ने इस केस को पुराना मैटर बताते हुए खारिज कर दिया उन्होंने कहा यह मैटर 2017 में पहले ही निपटा लिया गया है।
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गौरतलब है कि 72825 शिक्षक भर्ती के अवशेष 6170 पदों का मामला कोर्ट में तब आया था जब 2017 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने 6170 पदों को भर्ती करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को आदेशित किया था। प्रतीक्षा करने के बाद सरकार द्वारा इन पदों को भर्ती न करने के कारण इन पदों पर नियुक्ति के लिए या चुने हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार को पद भरने का आदेश दिया था
मगर हाईकोर्ट के आदेश पर नियुक्ति देने की बजाय पूरा केस कोर्ट प्रक्रिया में इस तरह उलझा कि याचियों की हेयरिंग भी ना हो सकी। बता दें कि जब हाईकोर्ट ने 6170 पदों पर याचियों को नियुक्त करने का आदेश दिया तब सरकार ने इन 6170 पदों को अन्य भर्तियों में शामिल करने का हलफनामा लगाकर याचियों को नियुक्ति से वंचित कर दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा दिए गए कोर्ट में हलफनामा की काट खुद सरकार के द्वारा दी गई आरटीआई के द्वारा हो गई। इसी आरटीआई के आधार पर एक बार फिर याचियो ने हाईकोर्ट की डबल बेंच का रुख किया। जहां डबल बेंच में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए झूठे हलफनामे पर बहस होनी थी। मगर ऐसा नहीं होगा क्योंकि डबल बेंच की सुनवाई में अन्य केस को मुख्य केस के साथ टैग करके 6170 पदों के केस को सुना ही नहीं गया और खारिज कर दिया।
आज दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में पिछली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच और डबल बेंच की सुनवाई को ही दोहराया गया। नई कोई भी बात नहीं हुई। और किसको पुराना मैटर बताते हुए याचिका खारिज कर दी गई।
मगर सोचने वाली बात यह है कि भले ही कोर्ट द्वारा याचिका को खारिज कर दिया गया हो मगर 6170 पदों से जुड़े हुए प्रश्न आज भी यथावत हैं।
* सुप्रीम कोर्ट का आदेश 2017 में आया था जिसमें कोर्ट ने 6170 पदों को भरने के लिए सरकार को आदेशित किया बावजूद सरकार ने इन पदों को क्यों नहीं भरा?
* हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 6170 पदों को 2 माह में भर्ती करने का आदेश दिया तो उन पदों पर भर्ती ना करके सरकार द्वारा झूठा हलफनामा लगाकर और भी पेचीदा बनाया गया इस पर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कोई सवाल क्यों नहीं किया?
* हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सरकार के झूठे हलफनामे पर कोई भी टिप्पणी ना करके केस को बिना सुने ही खारिज क्यों किया?
* हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की किसी भी सुनवाई में सरकार के द्वारा दिए गए झूठे हलफनामे पर प्रश्न क्यों नहीं किया गया जब आरटीआई पदों के रिक्त होने की पुष्टि करती है।
* 2017 में आदेश आने के बाद याची सिंगल और डबल बेंच में गए जिसके बाद तकरीबन 2 साल तक कोरोना के चलते कोर्ट में फिजिकल सुनवाई नहीं हो पाई इसके लिए हुई देरी में याची जिम्मेदार कैसे?
* 6170 पदों को भरने के लिए याचियों के पास पर्याप्त डाक्यूमेंट्स और सबूत हैं तो मात्र पुराना मैटर होने के आधार पर केस खारिज होना कैसे सही हो सकता है। जबकि देश में ऐसे कई केस आज भी पुराने मैटर के चल रहे हैं जिन पर समय-समय पर सुनवाई होती रहती है।
* अगर 6170 पदों का मामला पुराने मैटर के आधार पर खारिज करना तार्किक है तो 2011 में निकले 72825 शिक्षक भर्ती के विवाद का अंतिम सुप्रीम कोर्ट आदेश 25 जुलाई 2017 में आने पर तार्किक कैसे।
*क्या पुराने मैटर के आधार पर देश में लाखों केसों की याचिका पर सुनवाई को खारिज करके केसों को खत्म किया जा सकता है। अगर ऐसा संभव है वो तो 1 दिन में लाखों केसों पर डिसीजन हो जाएगा।
हाल फिलहाल जो भी है 72825 शिक्षक भर्ती के अवशेष 6170 पदों पर यह सवाल हमेशा याचियों के मन को टीस जरूर करेगा कि आखिर 6170 पदों का क्या हुआ ? क्या इन पदों पर कोई बैक डोर एंट्री हो गई या प्रसाद के रूप में वितरित हो गए।