केंद्र सरकार जल्द ही 2 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण कर सकती है।संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है।
सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण को लेकर बैंकिंग कंपनीज एक्ट 1970 में बदलाव की तैयारी कर संसद के इसी शीत कालीन में क्रिप्टोकरेंसी एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 को भी पेश कर सकती है।
हाइलाइएट्स :
●वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था।
● 29 नवंबर से विंटर सेशन की शुरुआत हो चुकी है।
● इस विंटर सेशन में बैंकों के निजीकरण पर आएगा कानून
● सरकार पेश करेगी कानून फिर होगा प्राइवेटाइजेशन
● डिजिटल करेंसी बिल 2021 की मदद से RBI को यह अधिकार मिलेगा जिससे वह ऑफिशियल डिजिटल करेंसी को लाए।
● सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों के निजीकरण को लेकर बैंकिंग कंपनीज एक्ट 1970 में बदलाव की तैयारी कर रही है।
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस भी करेगी निजीकरण का विरोध
बैंकिंग सुधार विधेयक का विरोध यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के संयोजक महेश मिश्रा ने बताया कि सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग सुधार विधेयक पारित कराना चाहती है जिससे निजीकरण का रास्ता साफ हो जाए जिसको लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर 16 और 17 दिसंबर को बैंकों में दो दिन की देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है उन्होंने बताया कि हम देश में कर्मचारी एवं जन समर्थित बैंकिंग नीतियों के साथ देश के आर्थिक विकास से जुड़ी नीतियों के समर्थक हैं न कि बैंकों के निजीकरण किए जाने के। इसीलिए बैंक कर्मचारियों का यह आंदोलन जारी है उन्होंने कहा कि हड़ताल से संबंधित नोटिस यूनाइटेड फोरम ने भारतीय बैंक संघ को दे चुका है।
AIBOC बैंकों के निजीकरण का विरोध करेगा
इधर ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की निजीकरण योजना के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन की घोषणा की है। AIBOC के महासचिव सौम्य दत्ता ने विरोध-प्रदर्शन की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार इस शीत कालीन सत्र में बैंकों के निजीकरण को लेकर बिल पेश करेगी उनका कहना है कि सरकार का यह फैसला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है। अगर सरकार निजीकरण करती है तो प्रायरिटी सेक्टर को आसानी से लोन नहीं मिलेगा उन्होंने कहा कि देश का 70 फीसदी जमा पूंजी सरकारी बैंकों में जमा है ऐसे में सरकार को लोगों का पैसा प्राइवेट लोगों के हाथों में देना गलत बात है। दत्ता ने कहा कि सरकार के इस कदम के पीछे कोई आर्थिक आधार नहीं है, यह पूर्ण रूप से ‘पूंजीपतियों’ को बैंक सौंपने के लिए लिया गया एक राजनीतिक फैसला है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र प्रभावित होंगे और एसएचजी को कर्ज के प्रवाह पर असर पड़ेगा।
दो बैंकों का होगा निजीकरण
● 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए सरकार ने विनिवेश और निजीकरण का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए रखा था।
● इसके साथ ही वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि चालू वित्त वर्ष में दो सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण किया जाएगा।
● इसके अलावा LIC IPO लाने का भी ऐलान किया गया था।
● सरकार BPCL में अपनी हिस्सेदारी बेचकर भी फंड इकट्ठा करेगी।
● क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने को लेकर भी कानून बनेगा।
मंत्रिमंडल करेगा फैसला
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार बैंकिंग कानून संशोधन 2021 के तहत पीएसबी में अपनी हिस्सेदारी को 51 फीसदी से घटाकर 26 फीसदी कर सकती है फिलहाल ऐसी संभावना है हालांकि उसने कहा कि इस विधेयक को पेश करने के समय के बारे में अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल ही करेगा।
NPS ट्रस्ट के लिए अलग से बिल
इसके अलावा पेंशन से जुड़ा भी एक अहम बिल इस शीतकालीन सत्र में पेश होने जा रहा है। Pension Fund Regulatory and Development Authority (PFRDA) Act में बदलाव के लिए सरकार Pension Fund Regulatory and Development Authority (Amendment) Bill, 2021 ला रही है। इसका उद्देश्य सरकारी पेंशन विभाग का काम देखने वाली संस्था PFRDA से नेशनल पेंशन सिस्टम को अलग करना है।
बजट-2020 में केंद्र सरकार ने यूनिवर्सल पेंशन कवरेज लागू करने की घोषणा की थी इस बिल से सरकार इस लक्ष्य को भी पाना चाहती है। सूत्रों ने बताया है कि PFRDA एक्ट में संशोधन से NPS ट्रस्ट की शक्ति, कार्यान्वयन और दायित्व वगैरह किसी चैरिटेबल ट्रस्ट या कंपनीज़ एक्ट के तहत आ जाएगा। एनपीएस ट्रस्ट अभी PFRDA Regulations 2015 के तहत आता है।